Bollywood : Mumtaz ने आखरी समय में Dev Anand का चेहरा देखने से किया इंकार ! वजह जान नहीं होगा यकीन
Bollywood : हिंदी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्रियों में से एक Mumtaz ने अपनी एक्टिंग से सालों तक फैंस के दिलों पर राज किया है। आज भी दुनिया भर में उनके लाखों चाहने वाले मौजूद हैं। 60 और 70 के दशक की बेस्ट अभिनेत्रियों में शामिल मुमताज का उस समय हर कोई दीवाना था। अब हाल ही में उन्होंने देव आनंद से जुड़े कई किस्से शेयर किए हैं।
बहन का रोल निभाने से किया मना
एक्ट्रेस मुमताज ने एक किस्सा शेयर किया। एक्ट्रेस को देव आनंद के साथ पहली फिल्म में पति-पत्नी के रूप में दिखाया गया था, लेकिन जब देव आनंद ने अपने दूसरी फिल्म के लिए उनसे संपर्क किया, तो उन्हें कुछ आपत्तियां थीं। एक्ट्रेस मुमताज ने बताया कि वह ‘हरे राम हरे कृष्णा’ के लिए मुझसे मिलने घर आए और मुझे फिल्म की कहानी सुनाई थी।
वह चाहते थे कि मैं उस फिल्म में उनकी बहन का किरदार निभाऊं। इसके बाद मैंने सोचा कि पहली फिल्म में एक शादीशुदा जोड़े का किरदार निभाने के बाद, अगर हम अपनी दूसरी फिल्म में भाई-बहन का किरदार निभाएंगे, तो क्या यह अजीब नहीं लगेगा। इसलिए, मैंने उनकी बहन की भूमिका निभाने से मना कर दिया और उसकी जगह एक्ट्रेस की भूमिका निभाने की पेशकश की।
इसके बाद देव साहब ने मुझसे कहा कि फिल्म में बहन का रोल काफी बड़ा है और मुझे इसको नहीं छोड़ना चाहिए, लेकिन मैं नहीं मानी। पहली फिल्म ‘तेरे मेरे सपने’ में हमारी जोड़ी को काफी पसंद किया गया और देव साहब भी इस बात सहमत हो गए थे। इसके बादउन्होंने मुझे वह भूमिका चुनने दी, जो मैं फिल्म में निभाना चाहती थी।
Read More:Aftab Shivdasani हुए साइबर फ्रॉड के शिकार,लगी लाखों की चपत
मुमजी कहकर बुलाते थे Dev Anand
अभिनेता के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों के बारे में बात करते हुए एक्ट्रेस ने बताया कि ‘देव साहब मुझसे बहुत प्यार करते थे। मैं देव साहब के बहुत करीब थी और वह मुझे मुमजी कहकर बुलाया करते थे। देव साहब अक्सर शूट के दौरान मुझे अपना स्कार्फ चुनने के लिए कहते थे। मुझे यह देखकर गर्व होता था कि देव साहब मेरी पसंद को महत्व दे रहे हैं।
इसलिए नहीं देखा आखिरी बार चेहरा
इसके साथ ही एक्ट्रेस Mumtaz ने यह भी बताया कि उन्होंने Dev Anand के निधन के समय उनका चेहरा देखने से क्यों इंकार कर दिया था। इस बारे में बात करते हुए एक्ट्रेस ने बताया कि ‘अफसोस की बात यह है कि मैं जहां रहती हूं… मेफेयर, लंदन में। वहीं से कुछ दूरी पर उनका होटल था, जहां उनका निधन हुआ था। कई लोग आए और कहा कि उनको देख लीजिए, लेकिन मैंने मना कर दिया। मैं अपने दिल और दिमाग में उन्हें सदाबहार देव साहब के रूप में चाहती थी। उन्हें वैसा देखना मुझसे नहीं बर्दाश्त होता’।