फ्लाइट्स में ‘only adult’ जोन का ऐलान, नहीं सुनाई देगा रोने-धोने या चिल्लाने की आवाजें

एक टर्किश-डच एयरलाइंस ने अपनी फ्लाइट्स में ‘only adult‘ जोन बनाने का एलान कर दिया. ये सेक्शन खास उन लोगों के लिए है जो फ्लाइट में बच्चों के रोने-धोने या चिल्लाने की आवाजें नहीं सुनना चाहते. 16 साल या उससे ऊपर के लोग चाहें तो ओनली एडल्ट फ्लाइट में शांति से सोते या फिल्म देखते हुए सफर कर सकते हैं. एक तबका इसे ओनली एडल्ट की बजाए चाइल्ड-फ्री जोन भी कह रहा है.

फ्लाइट में शुरू हो रही एडल्ट ओनली सर्विस

कई एयरलाइंस अलग-अलग नाम से ऐसी सर्विस शुरू कर रही हैं, जिसमें बच्चों के साथ आ-जा नहीं सकते. बच्चों के रोने की आवाज को टालने के लिए शुरू हुई इन फ्लाइट्स पर खूब बात भी हो रही है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कुछ घंटों के लिए बच्चे को रोता सुन लेना ऐसा भी क्या टॉर्चर है, जो लोग एक्स्ट्रा पैसे देकर इससे बच रहे हैं.इसमें फ्लाइट में एक वॉल से अलग हिस्सा बना दिया जाएगा, जहां लोग शांति से बैठकर अपना काम कर सकें, या सो सकें.

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क्या बदलता है ब्रेन में

छोटे बच्चों के रोने की आवाज भले ही किसी को चिड़चिड़ा दे, लेकिन उसे नजरअंदाज करना लगभग नामुमकिन है. खुद साइंस इस बात को मानता है.

only adult
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एडल्ट ब्रेन पर हुआ अध्ययन

यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड की वैज्ञानिक केटी यंग ने 28 लोगों के दिमाग की स्टडी की. इस दौरान ये देखा गया कि बच्चों के रोने की आवाज मस्तिष्क पर क्या असर डालती है. साथ में ये भी देखा गया कि क्या खुद वयस्कों के रोने की आवाज भी बड़ों पर वही असर करती है. जो प्रोसेस इसमें इस्तेमाल हुई, उसे मैग्नेटोइन्सिफेलोग्राफी (MEG) कहते हैं. ये मस्तिष्क में हो रही न्यूरल गतिविधियों को तेजी से पकड़ता है.

रोने की आवाज से सबसे तेजी से बदलाव

प्रयोग के दौरान जैसे ही छोटे बच्चों के रोने की आवाज सुनाई दी, लोगों के ब्रेन में 100 मिलीसेकंड के भीतर बदलाव हुए. इतना तेज रिएक्शन किसी भी दूसरी आवाज को सुनकर नहीं हुआ. ये तब था, जब प्रयोग में शामिल एडल्ट्स के कोई बच्चे नहीं थे. पेरेंट न होकर भी ये रोने की आवाज पर उतनी ही तेजी से प्रतिक्रिया कर रहे थे.

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फाइट और फ्लाइट जैसा रिएक्शन होता है

बच्चों के रोने की आवाज दिमाग के सबकॉर्टिकल एरिया को एक्टिव कर देती है. इसमें थैलेमस, बेसल गेंगलिया और सेरिबेलम शामिल हैं. ये सारे एरिया एक साथ तभी सक्रिय होते हैं, जब कोई मुश्किल हालात हों. ये फाइट और फ्लाइट यानी लड़ो या भागो का संकेत है. कार या खतरे का अलार्म सुनकर भी मस्तिष्क यही संकेत देता है. इस दौरान दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं, पसीना आने लगता है और बेचैनी होने लगती है.

यही वजह है कि रोना सुनकर एडल्ट तुरंत एक्टिव हो जाते हैं. ज्यादातर लोग बच्चे की परेशानी की वजह जानकर उसे चुप कराना चाहते हैं, वहीं ऐसे लोग भी हैं, जो तुरंत वहां से भाग लेते हैं. वजह दोनों के पास एक ही है- कोई भी बच्चे को रोता हुआ नहीं सुन सकता.

बड़ों या पशुओं के रोने की आवाज पर वैसी प्रतिक्रिया नहीं

प्रयोग के दौरान लोगों को बड़ों और जानवरों के रोने की भी आवाज सुनाई गई. लेकिन किसी पर भी ब्रेन का वैसा रिएक्शन नहीं था. ऐसे में जाहिर है कि फ्लाइट या ट्रेन में रोते हुए बच्चे को नजरअंदाज कर पाना बहुत मुश्किल होता है. इसी तरह की एक और रिसर्च भी हुई, जिसमें छोटे बच्चों के चीखने की आवाज एडल्ट्स को सुनाई गई. इसमें भी दिमाग फाइट और फ्लाइट की प्रतिक्रिया देता है, यानी मदद करो या भाग जाओ. ये रिसर्च सेल बायोलॉजी में साल 2015 में प्रकाशित हुई थी.

 

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