Assembly Election : नेताओं की आमजन से बढ़ती दूरियां, नेता दिखावे और शोरगूल में व्यस्त
Assembly Election : हाल में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसमें राष्ट्रीय पार्टियां सहित क्षेत्रिय पार्टियां जुट गई है। जोर-शोर की तैयारियां चल रही है। वरिष्ठ नेता लगातार विधानसभावार दौरा कर रणनीतियां बना रहे हैं। और कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम कर रहे हैं। विपक्ष सत्ता पक्ष की कमियों को उजागर करने में लगी है। तो वहीं सत्ता पक्ष विपक्ष को बखूबी जवाब देने का प्रयास करते दिख रही है। दोनों ही तरफ से रस्सा-कस्सी का दौर चल रहा है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय मंत्री अमित शाह लगातार प्रदेश दौरे कर रहे हैं।
Read MOre : Petrol diesel price : भारी बारिश में फिसला पेट्रोल, अब मिलने लगा 79 रुपए लीटर, जानें अपने शहर ताजा भाव
प्रमुखी विपक्षी पार्टी बीजेपी जहां अपनी खोयी हुई साख बचाने के फिराक में नजर आ रही है। तो वहीं सत्ता पक्ष अपनी जीत कायम रखने के जुगत में लगी है। ऐसे में दोनों ही प्रमुख पार्टियां विकास के मुद्दे से भटकती नजर आ रही है। चुनाव प्रचार और एक दूसरे पर हमले के खेल में इतने मशगूल हो गये हैं कि आम जन से दूरी दिनों दिन बढ़ती जा रही है।
Assembly Election : शासन-प्रशासन में बैठे लोगों के साथ-साथ विपक्षी नेताओं के पास आम लोगों की समस्याओं के लिए समय नहीं है। नतीजा आम लोगों को अपनी समस्याओं से खुद दो-चार होना पड़ रहा है।
Read More : 5th Sawan Somwar : इस सोमवार अद्भुत संयोग, भगवान भोलेनाथ बरसाने जा रहे अपनी कृपा
राजधानी रायपुर जहां विकास गाथा लिखे जाने की बातें होती रहती है। वहीं अपनी पीड़ा से कराह रहा है। शहर गड्ढों से भर गये हैं। जलभराव किसी से छिपा नहीं है। गंदगियां सिर चढ़कर बोल रही है।
Read MOre : Pakistan ने भारत के सामने टेके घुटने, पाक टीम वर्ल्ड कप खेलने इंडिया
Assembly Election : समस्याएं इतने में ही खत्म हो जाती तो कोई बात नहीं थी। हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी जिसे सरकार ने आम लोगों को आवास उपलब्ध कराने के लिए बनाया है। वहां समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। हाउंसिंग बोर्ड कॉलोनी सड्ढू खुद अपने आप में समस्या है। जहां कोई भी जनप्रतिधि और अधिकारी बुलाने से भी घुमने नहीं आते हैं। नतीजा कॉलोनी की कोई भी सिवरेज टंकी सहीं नहीं है। नाली बजबजा रही है। सिवरेज की गंदगियां सड़कों पर फैल रही है। शायद इसी को विकास कहते हैं। कहेंगे भी क्यों नहीं नेता जो ठहरे…