जानलेवा virus से लॉकडाउन जैसे हालात,दो लोगों की मौत,सामने आ चुके इतने मामले,सावधनी बरतने की जरूरत
केरल के कोझिकोड में निपाह virus ने दस्तक दे दी है। अब तक 4 मामले सामने आ चुके हैं, वहीं दो लोगों की मौत हो गई। हालात की गंभीरता को देखते हुए कन्नूर, वायनाड और मलप्पुरम में अलर्ट जारी कर दिया गया है। यहां की 7 ग्राम पंचायतों को कंटेनमेंट जोन बनाया गया है। इन इलाकों और यहां के अस्पतालों में मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है।
इसके अलावा कोझिकोड के जिला अधिकारी ने उपरोक्त 7 पंचायतों के सभी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, आंगनबाड़ी केंद्र, बैंक और सरकारी संस्थानों को बंद रखने का आदेश दिया है। सुबह 7 से शाम 5 बजे तक सिर्फ दवाइयां और जरूरी चीजों की दुकानें ही खोलने की इजाजत है।
केरल में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) की टीम निपाह वायरस की जांच करेगी। कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में NIV की टीम चमगादड़ों का सर्वे भी करेगी।
आज जरूरत की खबर में जानेंगे कि क्या है निपाह वायरस इन्फेक्शन, ये कैसे फैलता है? इससे बचने के क्या उपाय हैं?
एक्सपर्ट: डॉ. सुशीला कटेरिया, सीनियर डायरेक्टर, मेदांता, गुरुग्राम
सवाल: केरल में फैलने वाला निपाह वायरस क्या है?
जवाब: निपाह वायरस एक तरह का जूनोटिक इन्फेक्शन है। जो जानवर से फैलता है।
WHO के मुताबिक, साल 1998 में मलेशिया के सुंगई निपाह गांव में पहली बार निपाह वायरस का पता चला था। इसी गांव के नाम पर ही इसका नाम निपाह पड़ा।
सवाल: निपाह वायरस किनसे फैलता है?
जवाब: आमतौर पर यह वायरस चमगादड़ और सुअर से फैलता है। अगर इस वायरस से इन्फेक्टेड चमगादड़ किसी फल को खा लेता है और उसी फल या सब्जी को कोई इंसान या जानवर खाता है तो वह भी इन्फेक्टेड हो जाता है।
सवाल: क्या निपाह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में फैलने वाली बीमारी है?
जवाब: हां। निपाह वायरस सिर्फ जानवरों से ही नहीं बल्कि एक इन्फेक्टेड व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैलता है। यह लार, खून और बॉडी फ्लूइड से फैल सकता है।
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इसका मतलब है कि अगर आप निपाह वायरस से इन्फेक्टेड किसी व्यक्ति की देखभाल कर रहे हैं, तो पेशेंट के खांसने या छींकने से आपको भी यह इन्फेक्शन हो सकता है। यही वजह है कि यह वायरस एयरबॉर्न भी है।
सवाल: निपाह वायरस होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं?
जवाब: निपाह वायरस के लक्षण दो से तीन दिन में दिखने लगते हैं। इसके शुरुआती लक्षणों में बुख़ार, सिरदर्द और सांस लेने में परेशानी जैसी दिक्कतें होन लगती हैं। बाकी सिम्ट्म्स नीचे लगे क्रिएटिव से समझते हैं-
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सवाल: निपाह वायरस का ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है क्या इसकी कोई वैक्सीन है?
जवाब: फिलहाल अब तक इसकी कोई वैक्सीन नहीं तैयार हो पाई है, इसलिए दवाओं के जरिए इसके लक्षणों को कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है।
अगर आपको ऊपर बताए निपाह वायरस के कोई लक्षण एक-दो दिन तक दिखाई दें, तो खुद को आइसोलेट कर लें और तुरंत डॉक्टर से दिखाएं। डॉक्टर RT- PCR टेस्ट की मदद से इस वायरस की टेस्टिंग करते हैं।
टेस्टिंग में रिजल्ट अगर पॉजिटिव आते हैं तो इन बातों का जरूर ध्यान रखें-
- इन्फेक्टेड व्यक्ति को अलग कमरे में रखें। ताकि वायरस दूसरों तक न पहुंचे।
- पेशेंट की देखभाल करते समय PPE किट का इस्तेमाल करें।
- अपने मन से दवाएं न खिलाएं।
- पेशेंट को समय-समय पर पानी पीने को कहें।
- ज्यादा से ज्यादा आराम करने दें।
सवाल: आमतौर निपाह वायरस कहां पाया जाता है?
जवाब: हर साल एशिया के कुछ हिस्सों, खासतौर पर बांग्लादेश और भारत में निपाह वायरस के मामले आते हैं। इस वायरस के लिए सेंसटिव देशों में भारत, बांग्लादेश के अलावा मलेशिया, सिंगापुर, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, फिलीपींस और थाईलैंड शामिल हैं।
सवाल: चमगादड़ से ही ये वायरस क्यों फैलता है?
जवाब: चमगादड़ एकमात्र ऐसा मैमल है, जो उड़ सकता है। यह वायरस को एक से दूसरी जगह तेजी से फैलाता है। दरअसल चमगादड़ का मेटाबॉलिज्म तेज होने की वजह से वायरस इनके शरीर में बिना नुकसान पहुंचाए काफी समय तक जिंदा रह सकता है।
चमगादड़ का खाया हुआ फल या सब्जी खाने से इस खास तरह का फंगल इन्फेक्शन भी हो सकता है जो लंग्स के साथ स्प्लिीन और बोनमैरो को नुकसान पहुंचाता है।
सवाल: क्या निपाह वायरस से जान जाने तक का भी रिस्क है?
जवाब: WHO के मुताबिक, इसका इन्फेक्शन घातक होता है। इन्फेक्शन के बाद मरीजों की मौत का खतरा 40 से 75 प्रतिशत तक होता है। यह इस बात पर भी डिपेन्ड करता है कि मरीज को कितनी जल्दी इलाज प्रोवाइड कराया गया है।
सवाल: निपाह वायरस न हो, इसके लिए क्या सावधानियां बरतें?
जवाब: इसे नीचे लगे क्रिएटिव से समझते हैं-
चलते-चलते…
निपाह वायरस से रिलेटेड कुछ जरूरी बातें
- सबसे पहले निपाह वायरस की खोज साल 1999 में हुई थी। इस वायरस की वजह से मलेशिया और सिंगापुर में 100 लोगों की मौत हो गई थी।
- मलेशिया मामले की रिपोर्ट के अनुसार, पालतू जानवरों जैसे कुत्ते, बिल्ली, बकरी, घोड़े से भी इन्फेक्शन फैलने के मामले सामने आए थे। मलेशिया में सामने आने के बाद उसी साल इस वायरस का पता सिंगापुर में भी चला था।
- इसके बाद साल 2001 में बांग्लादेश में भी इस वायरस से इ्न्फेक्टेड मरीज मिले। कुछ समय बाद बांग्लादेश से जुड़ी भारतीय सीमा के आसपास भी निपाह वायरस के मरीज मिलने लगे।