Fraud : शराब ठेकेदार और क्षेत्रीय बैंक प्रबंधक ने फर्जी बैंक गारंटी बनाकर किया करोडो का Fraud :,आरटीआई द्वारा हुआ खुलासा
Fraud : रीवा आबकारी विभाग में बीजी घोटाला सामने आया है. 11 करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी बैंक गारंटी बनाकर कई करोड़ के भ्रष्टाचार का खुलासा आरटीआई में हुआ है. मामला उजागर होने के बाद बैंक मैनेजर निलंबित किया गया है. कलेक्टर ने 1 शराब ठेकेदार का लाइसेंस रद्द कर दिया है. साथ ही EOW ने भी इन पर शिकंजा कसते हुए जांच शुरू कर दी है.
आबकारी विभाग में शराब ठेकेदार और क्षेत्रीय बैंक प्रबंधक ने मिलकर बड़ा खेल किया है.
Fraud :आरटीआई में खुलासा हुआ है कि शराब दुकानों के लिए जो निविदा जारी की थी. वह आर्या ग्रुप के ठेकेदार को मिली. आर्या ग्रुप के ठेकेदार ने आबकारी में 10 करोड़ रुपए से अधिक की बैंक गारंटी सहकारी बैंक की फर्जी जमा कर दी. आरोप है कि आर्या ग्रुप और बैंक ने साठगांठ कर सरकार को चूना लगाया और करोड़ रुपए कमाए गए है. घोटाला उजागर होने के बाद बैंक प्रबंधक निलाबित कर दिया गया है. इस मामले की शिकायत के बाद EOW ने संज्ञान में लिया है. कमिश्नर रीवा संभाग को पत्र लिखकर आबकारी सहित सहकारी बैंक को दस्तावेजों के साथ तलब किया है.
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फर्जी बीजी का जिम्मेदार बैंक प्रबंधक को माना जा रहा है. मामला उजागर होने के बाद हरकत में आए आबकारी विभाग ने खामियों पर पर्दा डालने के लिए एक साल बाद आर्या से अन्य बैंक की बीजी करने का मौका दिया है. आबकारी अधिकारी इस भ्रष्टाचार को एक त्रुटि मानते है. अनिल जैन, उपायुक्त आबकारी ने इसकी जिम्मेदारी पर चुप्पी साध ली.
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Fraud :मामले की गंभीरता को देखते हुए कमिश्नर रीवा संभाग अनिल सुचारी ने कलेक्टर प्रतिभा पाल को कार्यवाई के आदेश दिए हैं. इसके बाद कलेक्टर ने शराब दुकानों से बीजी जमा कराई है और एक शराब ठेकेदार का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है.
आबकारी शराब दुकान आबंटित करते समय बैंक गारंटी लेता है. लेकिन 1 दर्जन दुकान ऐसी पाई गई हैं जिनके बीजी फर्जी हैं. इतना ही नहीं, फर्जी एफडी देकर लोन भी लिया गया है. हैरत की बात है कि इतना सब होने के बाद भी आबकारी विभाग की भनक नहीं लगी.
कलेक्टर प्रतिभा पाल ने कहा कि शिकायत के बाद बीजी जमा कराने के निर्देश दिए हैं. आरटीआई एक्टिविस्ट वीके माला का दावा है कि 11 करोड़ रुपये से अधिक का बीजी घोटाला हुआ है. वहीं, आबकारी उपायुक्त अनिल जैन ने भी माना है कि त्रुटि हुई है. बैंक की गड़बड़ी है.