Ajab Gajab : भोलेनाथ का चमरत्कारी मंदिर,जहां कोई नहीं कर पाता ‘शिवलिंग’ की सही गणना! जानें क्या है वजह ?

Ajab Gajab :  धर्म नगरी प्रयागराज में वैसे तो कई चमत्कारिक और पौराणिक कथाओं से ओतप्रोत मंदिर स्थापित हैं, लेकिन शिवकुटी इलाके में स्थित ‘शिव कचहरी मंदिर’ का एक अलग ही इतिहास और मान्यता है. यह भारत ही नहीं बल्कि विश्व का ऐसा मंदिर है, जहां लगभग 250 से अधिक शिवलिंग स्थापित हैं. खास बात यह है कि आज तक इन शिवलिंग की संख्या का सही गणना कोई नहीं कर पाया है.

मान्‍यता है कि जब भी कोई भक्त इसे गिनता है, तो उसे हर बार अलग-अलग संख्याओं की प्राप्ति होती है. उदाहरण के तौर पर जैसे सुरेश ने अभी एक घंटे पहले 245 शिवलिंग की गिनती की, लेकिन दोबारा गिनती करने पर उसे आंकड़ा 255 पहुंच जाएगा. स्थानीय लोगों में मान्यता है कि यह भगवान शिव का चमत्कार है कि आज तक कोई इसे सही नहीं गिन पाया है. भगवान भोलेनाथ जब जैसा चाहते हैं, इसकी संख्या घटती और बढ़ती रहती है. वहीं, मंदिर के पुजारी पंडित रवीश गिरी ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन और पौराणिक है. गजब की बात यह है कि आज भी शिवलिंग की संख्या का मतभेद कायम है. कई विद्वतजन ने भी इसे गिनने और समझने की कोशिश की, लेकिन आंकड़े हर बार अलग-अलग ही प्राप्त हुए. महादेव की भक्ति और महादेव का आशीर्वाद इस विषय और तथ्य की सटीक प्रामाणिकता का विशेष उदाहरण है.

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1865 में राजा राणा ने थी किसकी स्थापना
इलाके के पार्षद कमलेश शुक्ला ने बताया कि शिव कचहरी महादेव मंदिर की स्थापना नेपाल के राजा राणा जनरल पद्म जंग बहादुर ने 1865 में की थी. इस मंदिर में नागेश्वर, चंदेश्वर, सिद्धेश्वर सहित भगवान शिव के प्रत्येक रूप का शिवलिंग स्थापित है. जन कल्याण के लिए पूरे सावन महीने में रुद्राभिषेक चलता है. सुबह से लेकर शाम तक भक्तों की आवाजाही बनी रहती है. कमलेश ने आगे बताया कि भगवान भोलेनाथ का दर्शन करने के लिए कई राज्यों के श्रद्धालु यहां आते हैं. शिव का चमत्कार है कि यहां पर स्थापित ढाई सौ से ज्यादा शिवलिंग को आज तक किसी ने सही संख्या में नहीं गिन पाया है. कारण कि महादेव हर बार चमत्कार करते रहते हैं.

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ये है पौराणिक कथा
मान्यता है कि लंका विजय के बाद भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ प्रयागराज भरद्वाज मुनि के पास पहुंचे, लेकिन भरद्वाज मुनि ने प्रभु श्रीराम पर ब्रह्म हत्या का पाप लगे होने के कारण उन्हें मिलने से मना कर दिया. इस पाप से मुक्ति का उपाय जानने के लिए भरद्वाज मुनि ने उन्हें एक करोड़ शिवलिंग बनाकर पूजा करने को कहा था. उसके बाद प्रभु श्री राम ने फिर अपने सेवक को भेजकर भरद्वाज मुनि से पूछा कि यदि पृथ्वी पर एक करोड़ शिवलिंग में से किसी दिन एक की भी पूजा नहीं हुई तो उसका पाप उससे ज्यादा उन्हें लगेगा, तब भरद्वाज मुनि ने प्रभु श्री राम के पास संदेश भेजा की गंगा तट की रेत का कण कण शिवलिंग के समान है. ऐसे में इसी से शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा करें, तो प्रभु श्री राम ने यहां शिवलिंग कोटेश्वर मंदिर की स्थापना की और यह कई संख्या में शिवलिंग की स्थापना की थी.

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