Bollywood : जवान बेटे की मौत से सदमे में गायक,दर्द को बनाया सहारा,गाया ऐसा गाना ,सुनने वालों के…

Bollywood : हंसती खेलती दिखती फिल्मी दुनिया में कई दर्द भी छिपे हुए हैं. फिल्मों की चमकती दुनिया के इतर इस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की कई ऐसी ​ट्रेजिक कहानियां हैं, जिन्होंने उनकी जिंदगी बदल दी थी. ऐसे ही इंडस्ट्री के एक गायक हैं, जिनके साथ जीवन ने ऐसा खेल खेला कि वे हमेशा के लिए टूट गए. इस गायक ने अपने जवान बेटे को एक्सीडेंट में खो दिया था और इसके बाद उनकी दुनिया से सारे रंग गायब हो गए थे. बेटे की मौत के कुछ समय बाद इस गायक ने एक ऐसा गाना गाया जिसमें इतना दर्द घुला था कि हर सुनने वाले की आंख से आंसू निकले थे. आइए, बताते हैं…

हम जिस गाने की यहां बात कर रहे हैं, वह काजोल पर फिल्माया गया था. गाने के मर्म को समझते हुए काजोल ने इतनी बेहतरीन एक्टिंग की थी कि उन्हें देखकर हर दर्शक दर्द को महसूस कर रहा था. यह फिल्म थी ‘दुश्मन’ जो 1998 में आई थी और इसे तनूजा चंद्रा ने निर्देशित किया था.

तनूजा चंद्रा की फिल्म ‘दुश्मन’ साइकोलॉजिक थ्रिलर थी और इसमें काजोल ने डबल रोल प्ले किया था. फिल्म में आशुतोष राणा ने ‘गोकुल पंडित’ का नेगेटिव किरदार निभाया था. वहीं, संजय दत्त ने सपोर्टिंग कैरेक्टर प्ले किया था. फिल्म में एक सिचुएशन आती है जब गोकुल, सोनिया का मर्डर कर देता है. इसके बाद फिल्म में एक दर्दभरा गीत रखा गया था, जिसके बोल थे ‘चिठ्ठी ना कोई संदेश, जाने वो कौनसा देश, जहां तुम चले गए…’.

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फिल्म में यह गाना दो आवाजों में रिकॉर्ड किया गया था. पहला वर्जन गजल सम्राट जगजीत सिंह ने और दूसरा फीमेल वर्जन लता मंगेशकर ने गाया था. जगजीत सिंह के लिए इस गाने को गाना बेहद मुश्किल था क्योंकि इस गाने की एक एक लाइन उनकी निजी जिंदगी के दर्द को बयां कर रही थी. बताया जाता है कि जब वे इस गाने की रिकॉर्डिंग कर रहे थे तो उनके आंसू छलक पड़े थे.

जगजीत सिंह और उनकी पत्नी चित्रा सिंह दोनेां की ही आवाज के धनी थे और एक वक्त ऐसा था जब इनकी गाईं गजलें सुपरडुपर हिट होती थीं. लेकिर साल 1990 इनके लिए मनहूसियत लेकर आया. जगजीत और चित्रा के 20 वर्षीय बेटे विवेक सिंह की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई. इस हादसे ने जगजीत को और चित्रा को बुरी तरह तोड़ दिया.

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बेटे की मौत के बाद चित्रा सिंह ने कभी ना गाने का प्रण ले लिया. वहीं, जगजीत ने समय के साथ संगीत की दुनिया को ही अपने गम का सहारा बना लिया. इसी कड़ी में उनके पास आनंद बख्शी का लिखा हुआ गाना ​’चिट्ठी ना कोई संदेश’ आया. यह गाना उनके खुद के जीवन पर फिट बैठता था और हर लाइन उनके बेटे से जुड़ी महसूस होती थी.

जगजीत सिंह ने इस गाने में अपने दिल का सारा दर्द डाल दिया. जब यह गाना ​रिलीज हुआ तो जैसे हर किसी के दर्द का सहारा बन गया. गाने में इतना दर्द है कि​ सिनेमा हॉल में दर्शक अपने आंसू नहीं रोक सके थे. जिस भी व्यक्ति ने किसी हादसे में अपनों को खोया है, उनके लिए यह गाना दिल के हर जज्बात को बयां करने के लिए काफी है.

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20 साल के जवान बेटे की मौत, सदमे में गायक ने टूटकर गाया 1 गाना, हर सुनने वाले के छलके थे आंसू

हम जिस गाने की यहां बात कर रहे हैं, वह काजोल पर फिल्माया गया था. गाने के मर्म को समझते हुए काजोल ने इतनी बेहतरीन एक्टिंग की थी कि उन्हें देखकर हर दर्शक दर्द को महसूस कर रहा था. यह फिल्म थी ‘दुश्मन’ जो 1998 में आई थी और इसे तनूजा चंद्रा ने निर्देशित किया था.

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