Pallavi Joshi : करियर पर लगा ब्रेक,पल्लवी जोशी ने कही बड़ी बात,जब मैं घर लौट रोने लगी
Pallavi Joshi इन दिनों फिल्म द वैक्सीन वॉर के प्रमोशन में बिजी हैं. इस खास मौके पर उन्होंने कई अहम मुद्दों पर आजतक डिजिटल से बातचीत की. संसद में आए महिला आरक्षण बिल पर जया बच्चन को जवाब दिया, कंगना की बेबाकी पर खास टिप्पणी की. साथ ही अपने करियर और सालों बाद उम्र के इस पड़ाव पर वो क्या चाहती हैं, इसका खुलासा किया.
महिला आरक्षण बिल पास हुआ है. लेकिन जया बच्चन का कहना है कि हम कौन होते हैं महिलाओं को आरक्षण देने वाले? इस पर आपका क्या कहना है?
मुझे लगता है कि ये बात जया जी ने कही है तो उनके परिपेक्ष्य में ठीक है. लेकिन जब बात भारत की आम औरतों की होती है तो ये जरूरी है. आज देखिए गांव में जाने की जरूरत नहीं शहरों में कितने परिवार हैं जो सोचते हैं कि हमारी बहू बाहर जाकर काम नहीं करेगी. अगर करेगी काम तो पति के साथ करेगी. कामकाजी औरतों को लेकर सोच भी ऐसी बनी है कि वो घर का काम कुछ नहीं करेगी. वो घर नहीं संभालेगी. लेकिन ऐसा नहीं है. वैक्सीन वॉर फिल्म उन महिलाओं की कहानी है जो साइंटिस्ट है लेकिन घर भी संभाल रही है. वो घर से बाहर निकलती है तो बस साड़ी पहनती है, गले में चेन डालती है, बिंदी लगाकर, चेहरे पर पाउडर लगाकर निकल जाती है. कोविड के समय तो किसी के घर में मेड्स नहीं थीं वो औरतें पूरा घर संभाल रही थीं. अगर इंडियन नारी की ये असल छवि है तो किसी को अपनी बहू को बाहर काम पर भेजने में दिक्कत नहीं होगी. ये छवि बाहर आनी बहुत जरूरी है.
एक वक्त आपने भी अपने करियर को पति के लिए छोड़ा, बच्चों की परवरिश, घर संभालना क्या ये सब महिला की जिम्मेदारी है?
हां, मैंने कुछ साल काम नहीं किया, जिसकी वजह थी कि मेरे बच्चे हो चुके थे. मैं हमेशा इस बात को मानती हूं कि मैं चाहती थी मां बनना, मैं चाहती थी बच्चों की देखभाल करना. इसलिए मैंने खुद चुना अपना करियर थोड़े दिन के लिए रोकना. इसमें सबसे अहम भूमिका उस दिन की भी है जब मैं घर लौटी और मेरी मां ने बताया कि मेरी बेटी ने घुटनों घुटनों चलना शुरू किया. एक बच्चे के कई सारे माइलस्टोन होते हैं, उसके दांत निकलना, पहली बार करवट लेना, चलना. हर मां चाहती है कि वो उन पलों को जिए. बस मैंने भी जब दो लम्हे मिस किए तो उस दिन घर आकर रोने लगी. कि कल तक जो बच्चा मेरे अंदर 9 महीने तक था. आज उसकी अपनी लाइफ शुरू हो गई है. मुझे पता ही नहीं कि क्या हो रहा है. ऐसे में पहले मैंने तय किया कि जब मेरे बच्चों के माइलस्टोन पूरे हो जाएंगे तब मैं काम पर लौटूंगी. तब तक सब ठीक रहा, लेकिन जब वक्त आगे बढ़ा तो पता चला कि ये सिर्फ बच्चे को बड़ा करना नहीं है. मैं भी तो उनके साथ अपनी मां होने की जनीं को जी रही हूं.
दूसरी वजह ये थी कि विवेक ने तभी करियर शुरू किया था. मैं इतना लम्बा करियर देख चुकी थी, तो ऐसे में फैसला किया कि मैं घर पर बैठती हूं. ये वक्त अब विवेक को मिलना चाहिए.
इंडस्ट्री में इतना काम करने के बाद भी आपके दोस्त कम हैं, कई बड़े रोल जो आपको मिलने चाहिए थे नहीं मिले?
हां ये सब हुआ और कश्मीर फाइल्स आने के पहले ही हो चुका था. मैं कभी किसी से छोटा या बड़ा नहीं महसूस करना चाहती हूं. मेरे देश ने मुझे वो सारे हक दिए हैं जो सबके पास हैं. मुझे बिल्कुल समझ नहीं आता है जो लोग अपना अलग स्टेट्स लेकर चलते हैं. हमेशा एक बात को मैंने याद रखा है कि मैं एक कलाकार हूं. मेरा काम है कैन्वस पर रंग भरना. अपने किरदानों को बखूबी करना और करके चले जाना.
आज के वक्त में लोग अपनी राय रखने से बचते हैं. कंगना रखती हैं लेकिन उनका नाम एक विंग से जोड़ दिया जाता है. क्या ऐसा होना सही है?
देखिए मैंने कंगना को ज्यादा नहीं सुना क्योंकि वो अधिकतर सोशल मीडिया पर एक्टिव होती हैं. मैं आपको बताउं. जिंंदगी के कई पड़ाव होते हैं. जो लोग नहीं बोलते वो डिप्लोमैटिकली चुप हो जाते हैं वो किसी को नाराज नहीं करना चाहते हैं. कई लोग वो होते हैं जो इसलिए बोलते हैं कि कई लोग नाराज हो. उनके बोलने से समाज में उनका वर्चस्व पता चले. एक दौर होता है जिंदगी का जब आप छोटे होते हैं आपके अंदर बचपना होता है. जब जवा हो जाते हैं तो जवानी का जोश होता है. जब अधेड़ उम्र में आते हैं तो दोनों तरफ का पक्ष समझ आने लगता है. मैं जिंदगी के जिस मोड़ में हूं, जितने साल जिए हैं उससे तो कम ही जीने हैं. तो अभी दूसरों को खुश तो बहुत किया अभी जो मैं चाहती हूं वो करके जाउं.
जो मैं बोलना चाहती हूं. जो कहना चाहती हूं करके जाना चाहती हूं. अगर इसके बाद भी किसी को बुरा लगता है तो मैं क्षमा मांगती हूं कि आपको मेरी बातें बुरी लगीं.