CG NEWS : अडानी के इशारे पर अवैध गिरफ़्तारी से भारी आक्रोश, नाराज ग्रामीण कर रहे प्रदर्शन
CG NEWS : हसदेव के जंगलों में खदान स्थापित करने की मंशा से अवैध रूप से हो रही कटाई का विरोध करने ग्रामीणों, आदिवासियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरण प्रेमियों को जबरन गिरफ्तार किए जाने से भारी आक्रोश सामने आ रही है।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के प्रमुख आलोक शुक्ला ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि 21 दिसंबर के तड़के सुबह से ही हसदेव के जंगलों में अवैध रूप से पेड़ों की कटाई शुरू हो गई है। इस अवैध कटाई का विरोध करने वाले ग्रामीणों को पुलिस ने बिना कारण बताये जबरन हिरासत में ले लिया है। आलोक शुक्ला ने कहा कि ये सारी गिरफ्तारी अडानी के इशारे पर की जा रही है। उन्होंने कहा कि एक उद्योगपति को फायदा पहुचाने के लिए लाखों लोगों के जीवन और पर्यावरण को बर्बाद किया जा रहा है।
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CG NEWS : उन्होंने कहा कि अडानी के लिए संसाधनों की लूट और आदिवासियों के दमन की कार्यवाही प्रशासन ने शुरू कर दी है। इसी के तहत 21 दिसंबर की सुबह से हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के युवा सदस्य रामलाल करियाम (ग्राम हरिहरपुर), जयनंदन पोर्ते (सरपंच ग्राम घाटबर्रा) और ठाकुर राम सहित अन्य आंदोलनकारी को पुलिस घर से उठाकर ले गई है और गांव में भारी पुलिस फोर्स को तैनात करके परसा ईस्ट केते बासन कोयला खदान के लिए पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई है।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने इसे दमन की कार्रवाई बताते हुए भर्त्सना की है। और आदिवासियों की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए हसदेव के जंगल विनाश पर रोक लगाने की मांग की है।
CG NEWS : हसदेव अरण्य छत्तीसगढ़ का समृद्ध वन क्षेत्र है, जहां हसदेव नदी और उस पर मिनीमता बांगो बांध का कैचमेंट है, जिससे 4 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है। केंद्र सरकार के ही एक संस्थान “भारतीय वन्य जीव संस्थान” ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि हसदेव अरण्य में कोयला खनन से हसदेव नदी और उस पर बने मिनीमाता बांगो बांध के अस्तित्व पर संकट आ जाएगा, प्रदेश में मानव-हाथी संघर्ष इतना बढ़ जाएगा कि फिर कभी उसे सम्हाला नही जा सकेगा।
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छत्तीसगढ़ विधानसभा ने 26 जुलाई 2022 को सवार्नुमति से संकल्प पारित किया था कि हसदेव अरण्य को खनन मुक्त रखा जाए। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि ये पूरा क्षेत्र पांचवी अनुसूची में आता है और किसी भी ग्रामसभा ने खनन की अनुमति नहीं दी है इसलिए परसा ईस्ट केते बासन में कोयला खदान शुरू करना वनाधिकार कानून, पेसा अधिनियम और भू-अर्जन कानून तीनों का खुला उल्लंघन है।
हसदेव अरण्य के जंगलों के विनाश और आदिवासियों के दमन के खिलाफ छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।#हसदेव_जंगल_बचाओ #SaveHasdeo pic.twitter.com/iAaQKw0Q58
— Alok Shukla (@alokshuklacg) December 24, 2023
आलोक शुक्ला ने बताया कि जिन जंगलों का विनाश किया जा रहा है, उसके प्रभावित गांव घाटबर्रा को मिले सामुदायिक वन अधिकार पत्र को गैरकानूनी रूप से तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा ही निरस्त किया गया था, जिसका मामला बिलासपुर उच्च न्यायालय में लंबित है। उन्होंने कहा कि नव निर्वाचित भाजपा सरकार को जिस विश्वास के साथ इस प्रदेश और खासकर सरगुजा के आदिवासियों ने सत्ता सौंपी है, सरकार अडानी के इशारे पर जनता के उस विश्वास को तोड़ रही है। पर्यावरण प्रेमियों ने कहा कि यदि हसदेव के जंगलों की कटाई नहीं रोकी गई तो पूरे प्रदेश में व्यापक आंदोलन शुरू किया जाएगा।