CG NEWS : छत्तीसगढ़िया भोले-भाले अवश्य हैं, कमजोर नहीं…जारी रहेगी हक की लड़ाई…, देखें वीडियो

महेंद्र कुमार साहू/ CG NEWS : छत्तीसगढ़ के ग्रामीण आदिवासियों का सीधा सामना बाहुबली अडानी से होने जा रहा है। जो आदिवासियों के जल, जंगल-जमीन पर अवैध कब्जा करने जा रहा है। इतना ही नहीं लोगों की सांसों में भी कब्जा करने के फिराक में बैठा है। छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। यहां के जंगलों को काट कर फिजा में जहर घोलने का काम किया जा रहा है।

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति सालों से जंगल को बचाने आंदोलन कर रही है। जिन्हें सरकार की दमनकारी नीतियों का सामना करना पड़ रहा है। आज के दौर में हसदेव जंगल बचाना कई मायनों में जरुरी है। जिनमें ये प्रमुख पाइंट है।
-ये जैवविविधता के क्षेत्र हैं।
-ये छत्तीसगढ़ का हरा फेफड़ा है।
-ये गोंड आदिवासियों का घर है।
-ये 82 प्रजाति के पक्षियों का घर है।
-ये 167 प्रकार की वनस्पतियों का घर है।
-ये हाथियों का घर है।
-ये हसदेव नदी का प्रवाह क्षेत्र है। जिन्हें बचाये रखने हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति सालों से आंदोलरत है। और आज राजधानी रायपुर के मोतीबाग से अंबेडकर चौक होते राजभवन तक मार्च निकाला गया। जिसमें सैकड़ों कार्यकर्ता तखती लिये हुये थे। प्रदेश के राज्यपाल पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने व आदिवासी हितों को ध्यान रखने ज्ञापन सौंपा गया।

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CG NEWS : परसा केते खुली खदान में 21 दिसंबर से शुरू की गई पेड़ों की कटाई में अब तक 50 हजार से अधिक पेड़ काटे जा चुके हैं। वहीं लोगों को 3 लाख से अधिक पेड़ों को काटे जाने की संभावना नजर आ रही है।

जंगलों में चल रही आरा मशीनों की आवाज अब राजनीतिक रंग में रंगती जा रही है। अब इस मामले में कांग्रेस-भाजपा दोनों ही दलों ने राजनीतिक रोटियां सेकने का काम किया है। कांग्रेस ने प्रेस कान्फ्रेंस कर सारा ठिकरा भाजपा पर फोड़ा है। तो सीएम विष्णु देव साय पूरा मामला कांग्रेस शासनकाल का बता दिया है।

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CG NEWS : इससे तो यह निष्कर्ष निकलता है। दोनों ही पार्टियां दोषी नहीं है। दोषी अगर कोई है। तो वह जनता है। जो इन राजनीतिक पार्टियों को सत्ता में बिठाती है। सत्ता में बैठने के पहले ये राजनीतिक पार्टियां कुछ और बोलती है। और सत्ता में बैठने के बाद कुछ और बोलती है।

अब जब जनता दोषी है। तो अपनी हक की लड़ाई भी जनता को लड़नी होगी। और आगे हक की लड़ाई जंगल से लेकर सड़क तक ये जनता लड़ेगी। छत्तीसगढ़वासी भोले-भाले अवश्य हैं। लेकिन कमजोर बिल्कुल नहीं है। छत्तीसगढ़वासी भोले-भाले अवश्य हैं, लेकिन कमजोर नहीं…

 

 

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